क्या है 'ई-टेक्‍सटाइल' जो मोबाइल की बैटरी कर देंगे फुल चार्ज E-Gadgets

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क्या है 'ई-टेक्‍सटाइल' जो मोबाइल की बैटरी कर देंगे फुल चार्ज E-Gadgets

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कुछ इलेक्‍ट्रॉनिक गैजेट (E-Gadgets) हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। इनमें मोबाइल फोन शामिल हैं। हालांकि, इसे चार्ज करना लोगों को बड़ा उबाऊ लगता है। यूजर्स कुछ ऐसा सॉल्‍यूशन चाहते हैं कि ये खुद-ब-खुद चार्ज हो जाएं। न इसके लिए चार्जर की जरूरत पड़े और न सॉकेट-प्‍लग की। वैज्ञानिकों ने अब इसका रास्‍ता निकाल लिया है। उन्‍होंने ऐसा कपड़ा (Textile) ईजाद किया है जो चार्जर का काम करता है। इसके जरिये आसानी से मोबाइल फोन अैर स्‍मार्टवॉच जैसे छोटे उपकरणों को चार्ज किया जा सकता है। इस तरह के कपड़ों को नाम दिया गया है, ई-टेक्‍सटाइल (E-Textile)। इलेक्‍ट्रॉनिक या ई-टेक्‍सटाइल अपने अंदर इतनी सोलर पावर जुटा लेता है जिनके जरिये मोबाइल फोन या दूसरे छोटे इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरणों को आसानी से चार्ज किया जा सके। यानी आगे चलकर कपड़े सिर्फ फैशन और तन ढकने की चीज नहीं रह जाएंगे। इनका इस्‍तेमाल कुछ और ज्‍यादा बढ़ जाएगा।

यह कारनामा किया है नॉटिंगघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने। उन्‍होंने खास तरह का फैब्रिक बनाया है। यह अपने अंदर सौर ऊर्जा यानी सोलर पावर को जुटा सकता है। यह इतनी सौर ऊर्जा होती है जिसकी मदद से आसानी से मोबाइल फोन या स्‍मार्टवॉच को चार्ज किया जा सकता है।

फैब्रिक में लगे होते हैं सोलर सेल

यूनिवर्सिटी के एडवांस्‍ड टेक्‍सटाइल्‍स रिसर्च इंस्‍टीट्यूट ग्रुप (ARTG) ने यह कपड़ा विकसित किया है। इसे अभी प्रोटोटाइप माना जा रहा है। आगे चलकर इसका कमर्शियल स्‍केल पर प्रोडक्‍शन शुरू किया जा सकता है। इस बनाने में बहुत छोटे 1,200 फोटोवोल्‍टेइक सेल (सोलर पैनल) का इस्‍तेमाल होता है। ये सूरज की रोशनी से 400 मिलीवॉट इलेक्‍ट्र‍िक एनर्जी बना लेते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के फैब्रिक को रोजमर्रा के कपड़ों में शामिल किया जाएगा। ऐसे कपड़ों में जैकेट्स या बैकपैक शामिल हैं।


ये छोटे सोलर सेल ड्यूरेबल होते हैं। इनमें खास तरह की फ्लेक्सिबल वायरिंग की जाती है। इन्‍हें वॉटरप्रूफ पॉलीमर रेसिन में लपेट दिया जाता है। इस तरह फैब्रिक को धुलने पर पानी से इन सोलर सेल को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। हर एक सेल की लंबाई 5 मिमी और चौड़ाई 1.5 मिमी होती है। इससे फैब्रिक आरामदेह होने के साथ चार्जिंग के काम के लिए भी पूरी तरह तैयार होता है।


लोगों की ज‍िंदगी होगी आसान

ARTG प्रोजेक्‍ट को देखने वाले डॉ. थियोडोर ह्यूज-रिले ने कहा कि यह प्रोटोटाइप आने वाले समय में ई-टेक्‍सटाइल्‍स की क्षमता को दिखाता है। सौर ऊर्जा का ज्‍यादा से ज्‍यादा उपयोग करने के लिए दुनियाभर में कोशिश जारी है। सोलर अप्‍लायंस, ऑटो और पेंट जैसे क्षेत्रों में काफी कुछ किया जा चुका है। सोलर क्‍लोदिंग इनमें नया क्षेत्र है।

ई-टेक्‍सटाइल पर पहले भी काम हो चुका है। फिनलैंड में आल्‍टो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस पर दो दशक तक काम किया। उन्‍हें ऐसा क्‍लोदिंग आइटम बनाने में सफलता मिल चुकी है जिसे प्‍लग में लगाकर चार्ज करना पड़ता था। फिर इससे दूसरे आइटमों को चार्ज किया जा सकता था। लेकिन, नॉटिंगघम के रिसचर्स ने जो ई-टेक्‍सटाइल विकसित किया है, उसकी टेक्‍नोलॉजी बिल्‍कुल नई है।



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