छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में भाई बहन भूलकर भी नहीं कर सकते एकसाथ दर्शन

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छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में भाई बहन भूलकर भी नहीं कर सकते एकसाथ दर्शन

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भाई बहन का रिश्ता बहुत पवित्र होता है। बचपन में भले ही भाई बहन साथ रहते हुए भी लड़ते झगड़ते हों, लेकिन दोनाें के बीच ये अटूट प्‍यार सदैव बना रहता है। इस प्रेम को दर्शाने के लिए भाई दूज का त्‍योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई को टीका कर उनकी सलामती की दुआ मांगती हैं, और भाई भी हमेशा बहन की रक्षा करने का वचन देता है। भाई दूज के मौके पर हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां भाई बहन का एक साथ प्रवेश करना वर्जित है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार के कसडोल के पास नारायणपुर नामक गांव में स्थित है। इसे नारायणपुर का शिव मंदिर नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में।यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण रात के समय हुआ था। मंदिर को पूरी तरह से बनने में 6 महीने लगे थे। इस मंदिर के बारे में एक दिलचस्प बात बहुत लोकप्रिय है। स्‍थानीय लोगों का कहना है कि जनजाति समुदाय से संबंध रखने वाले मंदिर के प्रधान शिल्‍पी नारायण निर्वस्‍त्र होकर रात में मंदिर का निर्माण करते थे।भारत में यह एकमात्र मंदिर है, जहां भाई बहन का एकसाथ जाने पर पाबंदी है। इसके पीछे भी एक कहानी है। निर्माण स्‍थल पर शिल्‍पी नारायण की पत्‍नी उनके लिए खाना लेकर जाती थी। लेकिन एक दिन पत्‍नी की जगह नारायण की बहन खाना लेकर चली गई । उसे देखकर नारारण को शर्मिंदगी महसूस हुई और उन्होंने मंदिर के शिखर से कूदकर ही अपने जान दे दी।छत्तीसगढ़ का ये प्राचीन शिव मंदिर अपनी स्‍थापत्‍य कला के लिए मशहूर है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर क्‍यों इस मंदिर में भाई बहन का एकसाथ दर्शन करने जाना वर्जित है। इसका मुख्‍य कारण है वहां की दीवारों पर उकेरी गई हस्‍त मैथुन की मूर्तियां।यह मंदिर 7वीं से 8वीं शताब्दी के बीच का बताया जाता है। मंदिर का निर्माण लाल और काले बलुवा पत्थरों से किया गया है। स्‍थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण कलचुरी शासकों ने कराया था। इस मंदिर के स्‍तभों पर कई सुंदर आकृतियां बनी हुई हैं। पत्थरों को काटकर की गई नक्काशी देखने लायक है। देश ही नहीं विदेश से भी लोग इस मंदिर की कारीगरी देखने आते हैं।यह मंदिर 16 स्‍तंभों पर टिका हुआ है। हर स्‍तंभ पर खूबसूरत नक्‍काशी की गई है। मंदिर के पास एक छोटा सा संग्रहालय है, जहां पर आसपास से खुदाई में मिली मूर्तियों को रखा गया है। यहां एक बहुत बडी मूर्ति है। जिनके बारे में कहा जाता है कि ये वही राजा हैं, जिनके द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है।



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