आखिर सरकार ने क्यों टाला '6 एयरबैग्स' को अनिवार्य करने का फैसला?

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आखिर सरकार ने क्यों टाला '6 एयरबैग्स' को अनिवार्य करने का फैसला?

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 मशहूर उद्योगपति साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद एक अहम सवाल उठा था कि क्या बेहतरीन और महंगी कारों में भी कार सवार लोगों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है? इस हादसे के फौरन बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सभी कारों में छह एयरबैग जरूरी होने का फैसला लेते हुए ऐलान किया था कि इस नियम को 1 अक्टूबर से देश भर में लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अचानक शुक्रवार को सरकार ने अपना फैसला पलटते हुए इसे एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि सरकार ने यात्री सुरक्षा को ताक पर रखकर कार निर्माता लॉबी की बात मानते हुए उसके आगे झुकना मंजूर किया?

हालांकि गडकरी ने सरकार के अपने वादे से पीछे हटने के इस निर्णय की जानकारी देते हुए साफ किया है कि ये  फैसला टला है,पर कैंसिल नहीं हुआ है. लेकिन फिर भी ये सरकार की नीयत पर सवालिया निशान इसलिये लगाता है कि जिस नियम को लागू करने के लिए खुद केंद्रीय मंत्री इतने अधिक उत्साहित थे,तो फिर ऐसा कौन-सा और किसका दबाव आ गया कि उन्हें अपने हाथ पीछे खिंचने पर मजबूर होना पड़ा.

आज से लागू होना था सरकार का फैसला

गडकरी ने इस फैसले की जानकारी देते हुए ट्वीट किया,"ऑटो उद्योग इस समय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापक आर्थिक परिदृश्य का सामना कर रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए अब 1 अक्टूबर, 2023 से यात्री कारों (एम -1 श्रेणी) में न्यूनतम छह एयरबैग अनिवार्य करने वाले प्रस्ताव को लागू करने का निर्णय लिया गया है." यह स्पष्ट करते हुए कि प्रस्तावित नियम को केवल टाला गया है और रद्द नहीं किया गया है, उन्होंने दूसरा ट्वीट किया, "मोटर वाहनों में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों की सुरक्षा उनकी लागत और वेरिएंट की परवाह किए बिना सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है.बता दें कि, इससे पहले यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए आठ सीट वाले वाहनों में सरकार ने छह एयरबैग लगाना अनिवार्य किया था और इस फैसले को आज यानी एक अक्टूबर 2022 से लागू होना था. हालांकि, इसके लिए मंत्रालय ने इस साल जनवरी में एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कार उद्योग को इस बाबत तैयार होने के लिए 10 महीने का समय दिया गया था. निर्माताओं ने अपनी मजबूरियां गिनाते हुए कहा कि इतने कम वक्त में ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं होगा. लिहाजा उन्हें और 18 महीने का समय दिया जाए, लेकिन तय हुआ कि सरकार उन्हें अब सिर्फ एक साल का ही और वक्त देगी. यानी अब एक अक्टूबर 2023 से बाजार में आने वाली सभी कारों में छह एयरबैग देना अनिवार्य हो जाएगा.

फैसले को लेकर क्या कहते हैं कार निर्माता ?

कार निर्माताओं का कहना है कि चार और एयरबैग्स लगाए तो कार की क़ीमत कम से कम 18,500 रुपए तक बढ़ जाएगी. सरकारी सूत्र दावा करते हैं कि इसमें महज 6 हजार रुपये की ही लागत आएगी, जिसे निर्माता कंपनी अपने ग्राहकों से ही वसूलेगी. इसके साथ ही एक बुनियादी सवाल ये भी उठाया जा रहा है कि सरकार छह एयर बैग्स जरूरी करने से पहले कार की पिछली सीट पर बैठने वाले सभी यात्रियों के लिए सीट बेल्ट को अनिवार्य रूप से लगाने का कानून क्यों नहीं बनाती?

दुनिया के तमाम देशों में बेहतर और सुरक्षित सड़कों के लिए काम करने वाला एक संगठन है- इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF). उसने कई देशों में हुए सड़क हादसों की स्टडी करने के बाद पाया कि कार की आगे वाली सीट के लिए तो सीट बेल्ट और एयर बैग्स दोनों ही सुरक्षा के कारगर उपाय हैं, लेकिन पिछली सीट पर बैठे लोगों की जान बचाने के लिए एयर बैग्स से ज्यादा सीट बेल्ट लगाना अहम है. इस संगठन से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो हादसे के समय कार में एयरबैग तभी ज्यादा प्रभावी होते हैं जब सीटबेल्ट लगाई हुई हो. अगर सीटबेल्ट नहीं लगाई हो और हादसा हो जाए तो एयरबैग के कारण नुकसान भी हो सकता है. इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के मुताबिक छह एयरबैग को अनिवार्य करने के प्रावधान को तब आगे बढ़ाना चाहिए, जब भारत में कम से कम 85 फीसदी लोग पिछली सीट पर भी सीट बेल्ट लगाने को अपनी आदत बना लें.

उल्टा पड़ सकता है छह एयरबैग का फैसला 

संगठन के अध्यक्ष केके कपिला के मुताबिक जब तक लोग पीछे की सीट पर बेल्ट पहनना शुरू नहीं करते तब तक सरकार की ओर से लोगों को इसके लिए जागरूक करना होगा क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो छह एयरबैग का प्रावधान उल्टा हो जाएगा, जिससे अधिक घातक दुर्घटनाएं हो सकती हैं. कई वैश्विक अध्ययनों से पता चला है कि अगर बिना सीट बेल्ट के एक एयरबैग तैनात किया जाता है, तो इससे गंभीर चोट लग सकती है और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.इसीलिये आईआरएफ ने भी सरकार से  आग्रह किया है कि यह प्रावधान समयबद्ध नहीं होना चाहिए बल्कि सर्वेक्षण द्वारा शासित होना चाहिये, ताकि पता लग सके कि कितने लोग पीछे की सीट पर बेल्ट पहने हुए हैं.

कार में सवार लोगों के लिए सीट बेल्ट कितनी बड़ी जीवरक्षक है. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि भारत में कार दुर्घटना में हुई मौतों में से 87 फीसदी ऐसी थीं,जिनमें पीड़ितों ने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी .हैरानी की बात तो ये है कि तमाम हादसों को अपनी आंखों से देखने-सुनने के बावजूद 96 प्रतिशत कार यात्री आज भी पिछली सीट पर बैठकर सीट बेल्ट लगाने की कोई ज़हमत नहीं उठाते. वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में मारे जाने वाले हर 10 में से कम से कम एक भारतीय होता है और ये आंकड़ा चौंकाने वाला है. हर साल ऐसे सड़क हादसों के कारण भारत की जीडीपी में 3 प्रतिशत का नुकसान भी होता है.


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