स्किन से खून में पहुंचता है टैल्कम पाउडर, स्वास्थ्य के लिए घातक

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स्किन से खून में पहुंचता है टैल्कम पाउडर, स्वास्थ्य के लिए घातक

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अमेरिका के टेक्सास में रहने वालीं 52 साल की डार्लिन कोकर जानती हैं कि उनकी जिंदगी के दिन कम होते जा रहे हैं। वह मेसोथेलियोमा (Mesothelioma) नाम के जानलेवा कैंसर से जूझ रही हैं। यह बीमारी उनके फेफड़ों के साथ शरीर के बाकी अंगों को भी खराब कर चुकी है। दर्द से जूझते हुए वह हर सांस के लिए लड़ती हैं। आज उन्हें पता है कि उनका ये दर्द उस टैल्कम पाउडर की देन है जिसे वो ताजगी और खुशबू के लिए लगाती रही हैं। उस समय वह यह नहीं जानती थीं कि इस महक को पाने के लिए उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ेगी और इसका जिम्मेदार कौन है। अब जाकर उन्होंने जाना कि जिस बीमारी की चपेट में वो हैं उसकी वजह खतरनाक ‘एस्बेस्टस’ है, जो टैल्कम पाउडर में मौजूद रहता है।

आखिर डार्लिन ‘एस्बेस्टस’ के संपर्क में कैसे आईं? इसके लिए उन्होंने अपने ‘पर्सनल इंजरी लॉयर’ Herschel Hobson से बात की। उन्होंने डार्लिन के घर का मुआयना किया, जहां उन्हें जॉनसन एंड जॉनसन पाउडर रखा मिला। हॉब्सन अपने पुराने केसों की वजह से जानते थे कि जब टैल्क को जमीन से निकाला जाता है तो उसमें एस्बेस्टस भी होता है जिसमें कार्सिनोजन (carcinogen) मिला होता है जो कैंसर का कारण बनता है।

इसके बाद डार्लिन कोकर ने कंपनी के खिलाफ केस किया। यह बात 1999 की है। वह पहली ऐसी महिला थीं जिसने जानलेवा टैल्कम पाउडर के खिलाफ आवाज उठाई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को तब तक नहीं पता था कि एस्बेस्टस कितना खतरनाक हो सकता है।

यह बात आपको इसलिए बताई जा रही है ताकि आप टैल्कम पाउडर का उपयोग करने से पहले सोचें, क्योंकि इसे हर उम्र का व्यक्ति इस्तेमाल कर रहा है। बचपन में मां ने कभी न कभी आपको टैल्कम पाउडर जरूर लगाया होगा क्योंकि यह हर घर की जरूरत होता है। पसीना आए तो लगा लीजिए, खुजली या रैशेज हो तो तुरंत इसको याद कीजिए। ब्यूटी पार्लर में हर उस क्लाइंट को पहले टैल्कम पाउडर लगाया जाता है जो थ्रेडिंग और वैक्सिंग कराने आता है।

अगर आपने टैल्कम पाउडर लगाया नहीं होगा तो कैरम खेलने के दौरान बोर्ड पर छिड़का जरूर होगा। यानी टैल्कम पाउडर हमारी जिंदगी में इस कदर शामिल है कि इसके बिना ताजगी महसूस नहीं होती।

तो टैल्कम पाउडर की जरूरत कब और कैसे पड़ी। इसके लिए आपको चलना होगा प्राचीन मिस्र में। लेकिन इससे पहले आपको बताते हैं टैल्क शब्द कहा से आया।

भंवरे की कलाकृतियों को टैल्क से चमकाते थे मिस्रवासी

प्राचीन समय में टैल्कम पाउडर नहीं टैल्क का इस्तेमाल होता था। यह पाउडर टैल्क नाम के मिनरल से बनता था। टैल्क नीले, हल्के हरे, सलेटी, गुलाबी, सफेद, पीले, भूरे या सिल्वर रंग का होता है। यह नमी या तेल सोखने में मदद करता है।

प्राचीन मिस्र में भंवरे को शुभ माना जाता था। भंवरे को इतना महत्वपूर्ण माना जाता था कि उसकी कलाकृतियां और मुहरें बनाई जाती थीं। इन कलाकृतियों काे निखारने के लिए भी टैल्क का इस्तेमाल किया जाता। इसका संबंध मिस्र के देवता 'रा' से भी जोड़ा गया।

इतिहासकार मानते हैं कि टैल्क का इस्तेमाल प्राचीन मिस्र में कॉस्मेटिक्स के तौर पर भी किया जाता था। मान्यता थी कि इससे देवता खुश होते हैं।

10,000 ईसा पूर्व में मिस्र में महिला और पुरुष दोनों ही खुशबूदार चीजों का इस्तेमाल करते थे, ताकि उनकी त्वचा मुलायम रहे। इसमें टैल्क भी शामिल था।

टैल्क होता क्या है, इसका पहली बार पता 1880 में लगा। जानिए कैसे?

कनाडा के एक खेत में मिली थी टैल्क की खदान

मिस्र के लोग टैल्क का भले ही इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। टैल्क को उसकी पहचान और नाम 1880 के दशक में तब मिली जब उसकी खदान कनाडा के मैडोक में एक खेत में पाई गई। यह टैल्क की पहली खदान थी।

1896 में यहां Henderson Talc Mine नाम की कंपनी खोल दी गई। यहीं से टैल्क ने ब्यूटी बाजार में कदम रखा। भले ही टैल्क की खोज कनाडा में हुई लेकिन दुनिया में भारत सबसे ज्यादा टैल्कम पाउडर का उत्पादन करता है और इसका इस्तेमाल भी सबसे ज्यादा यहां होता है।

अब आपको दोबारा ले चलते हैं जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के बेबी पाउडर की तरफ? कैसे टैल्क से टैल्कम पाउडर बना, इसके पीछे भी एक कहानी है।

खुजली ने सताया तो बना टैल्कम पाउडर

अमेरिका के डॉ. फ्रेड्रिक.बी.किल्मर टैल्कम पाउडर बनाने वाले पहले व्यक्ति थे। वह फार्मासिस्ट और जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के साइंटिफिक लैबोरेट्री निदेशक थे। किल्मर ने एक मरीज को खुजली होने के बाद टैल्कम पाउडर बनाया। दरअसल, उस मरीज के हाथ पर प्लास्टर चढ़ा था। जब प्लास्टर काटा गया तो उसे खुजली हाेने लगी। उसने डॉ. किल्मर को इसके बारे में बताया तो उन्होंने इटैलियन परफ्यूम से लैस एक पाउडर नुमा दवा भेज दी। यह बात 1892 की है।

इसके बाद उन्होंने इस बारे में बहुत सोचा और खुजली से आराम पहुंचाने के लिए 1893 में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के लिए बेबी पाउडर डेवलप किया। कंपनी ने एक साल बाद इस पाउडर को मार्केट में उतारा।

जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने भारत पहुंचाया टैल्कम पाउडर

भारत को आजादी मिलने के एक साल बाद 1948 में पहली बार जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने भारतीय बाजार में कदम रखा। इन्होंने इंडिया में बेबी पाउडर लॉन्च किया, जो बच्चों को रैशेज से बचाता था। उस समय इसे मुंबई में ब्रिटिश ड्रग हाउस नाम की लोकल कंपनी बना रही थी।

1957 में जॉनसन एंड जॉनसन इंडिया लिमिटेड बनाकर रजिस्टर की गई। तब यहां केवल 12 वर्कर काम करते थे। 1959 में मुंबई में प्रोडक्शन के लिए मुलुंड प्लांट शुरू किया गया। आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए गए ग्रैफिक से जॉनसन एंड जॉनसन के पाउडर को लेकर विवाद जान लीजिए।

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