गर्मी हो या बरसात साल में कभी कभार की दिल्लीवाले साफ हवा में सांस ले पाते हैं। लेकिन, जैसे ही सर्दी के मौसम की आहट मिलने लगती है, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली में रहने वाले जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं, उनके भी लंग्स काले पाए गए हैं। इसके अलावा 2020 से देश कोविड की मार झेल रहा है, बीच-बीच में स्वाइन फ्लू के मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में जब रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस मौजूद हों साथ में प्रदूषण बढ़ जाए तो बीमारी ज्यादा खतरनाक हो जाती है, साथ इसे ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। आकाश हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी एक्सपर्ट डॉक्टर अक्षय बुद्धराजा ने कहा कि रेस्पिरेटरी वायरल डिजीज के साथ जब प्रदूषण बढ़ता है तो बीमारी काफी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि कॉमन कोल्ड की स्थिति में भी प्रदूषण खतरनाक हो जाता है। ऊपर से दिल्लीवाले पिछले दो साल से कोविड की वजह से परेशान हैं। बहुत से लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसका असर उनके लंग्स पर हुआ है, जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो इसका असर भी लंग्स पर ही होता है। इसलिए जब प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा तो वायरल बीमारी और ज्यादा जानलेवा और खतरनाक हो जाएगी।बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी विभाग के डॉक्टर संदीप नय्यर ने कहा कि कोविड के मरीज अभी भी आ रहे हैं, हालांकि इसका असर ज्यादा नहीं हो रहा है। लेकिन, अगर प्रदूषण बढ़ेगा और किसी को कोविड हो जाएगा तो बीमारी का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में मरीजों को ऑक्सिजन की जरूरत भी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्वाइन फ्लू के भी मामले मिल रहे हैं। कोविड और स्वाइन फ्लू दोनों ही लंग्स पर असर डालते हैं, ऐसे में प्रदूषण लंग्स को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। डॉक्टर अक्षय ने भी कहा कि अभी कोविड के हल्के लक्षण मिल रहे हैं, प्रदूषण बढ़ने पर कोविड गंभीर बीमार कर सकता है। अस्पतालों में एडमिशन भी बढ़ सकते हैं। खासकर जो लोग पहले से लंग्स के मरीज हैं या जिन्हें डायबीटीज या दिल की बीमारी है, उन्हें परेशानी हो सकती है। इसके अलावा जिन लोगों को किसी भी तरह की एलर्जी है, जैसे- आंख, नाक, गले की एलर्जी हो, उन्हें भी प्रदूषण बढ़ने पर दिक्कत हो सकती है। उन्होंने कहा कि हर साल सर्दी बढ़ते ही प्रदूषण बढ़ जाता है और इससे निपटने की सारी तैयारियां कम पड़ जाती है।