ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग का संरक्षण जारी रहेगा, SC ने सभी पक्षों से 3 हफ्ते में मांगा जवाब

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ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग का संरक्षण जारी रहेगा, SC ने सभी पक्षों से 3 हफ्ते में मांगा जवाब

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग जैसी संरचना के संरक्षण की सीमा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने आदेश में कहा कि संरक्षण जारी रहेगा. कोर्ट ने सभी पक्षों से 3 हफ्तों में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है.

ज्ञानवापी मस्जिद पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी का ASI से सर्वे कराने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई है. इधर, वाराणसी की जिला अदालत में कथित शिवलिंग की पूजा के अधिकार और मस्जिद में सर्वे की कार्यवाही पर भी सुनवाई हुई. कोर्ट अब 5 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा.

दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में 16 मई को कोर्ट कमीशन के सर्वे के दौरान एक संरचना मिली थी. हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग तो मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस संरचना को संरक्षित करने का आदेश जारी किया था. यह आदेश 12 नवंबर तक के लिए थासुप्रीम कोर्ट ने पूछा 7/11 में निचली अदालत ने क्या आदेश दिया. हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु जैन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की याचिका निचली अदालत ने  खारिज कर दी थी और याचिका को सुनवाई योग्य माना था. 

17 मई को, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा उस स्थान की सुरक्षा के लिए पारित आदेश जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान "शिवलिंग" पाए जाने का दावा किया गया था, नमाज अदा करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए मस्जिद तक पहुंच के मुसलमानों के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं करेगा. 20 मई को, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वाराणसी जिला न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया, यह देखते हुए कि एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी को शामिल मुद्दों की संवेदनशीलता को देखते हुए मामले से निपटना चाहिए.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि जिला अदालत को मस्जिद कमेटी द्वारा आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत दायर आवेदनों पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करनी चाहिए. जिला न्यायालय के फैसले का इंतजार करने के लिए कोर्ट ने 21 जुलाई को मामले को 20 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया था.

हाल ही में, जिला न्यायालय ने सूट के सुनवाई योग्य होने के खिलाफ मस्जिद समिति की आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि इसे पूजा स्थल अधिनियम 1991 द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया गया था.

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