हिमाचल चुनाव के लिए थमा प्रचार, पुरानी पेंशन स्कीम, बेरोजगारी और परिवारवाद समेत छाए रहे ये मुद्दे

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हिमाचल चुनाव के लिए थमा प्रचार, पुरानी पेंशन स्कीम, बेरोजगारी और परिवारवाद समेत छाए रहे ये मुद्दे

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार (10 नवंबर) को प्रचार थम गया है. हिमाचल की 68 सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा और इसके बाद सबकी नजरें 8 दिसंबर पर टिकी होंगी जिस दिन नतीजे आएंगे. हिमाचल में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी (BJP) की ओर से पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सीएम जयराम ठाकुर समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने मोर्चा संभाला. वहीं कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे बड़े-बड़े नेताओं ने प्रचार की कमान संभाले रखी. 


हिमाचल चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी ने भी पूरी ताकत झोंकी है. आप संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने जमकर चुनाव प्रचार किया. इस चुनाव में कई मुद्दे छाए रहे. जिनमें पुरानी पेंशन बहाली, परिवारवाद, बेरोजगारी के मुख्य मुद्दे रहे. 


कांग्रेस ने पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाया


कांग्रेस ने अपने पूरे प्रचार अभियान को पुरानी पेंशन (ओपीएस) की बहाली के वादे की बुनियाद पर खड़ा किया. बता दें कि, ओपीएस के तहत सरकारी कर्मचारी को अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन मिलती थी. नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी को वेतन और डीए का कम से कम 10 फीसदी पेंशन कोष में देना होता है. इस कोष में सरकार 14 फीसदी का योगदान देती है.

बीजेपी ने भी जनता को लुभाने की कोशिश की

दूसरी ओर बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और डबल इंजन की सरकार की बदौलत हर पांच साल पर परिवर्तन होने की परम्परा को तोड़ने की जुगत में लगी रही. इसी परम्परा को ध्यान में रखकर बीजेपी ने चुनाव में 'नया रिवाज बनाएंगे, फिर बीजेपी लाएंगे', का नारा भी दिया. साथ ही बीजेपी ने समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा करके चुनावी माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश की. बीजेपी राज्य की जनता को ये भी समझाने की कोशिश करती रही कि डबल इंजन की सरकार को बनाये रखने में ही हिमाचल प्रदेश का हित है. बीजेपी ने प्रचार के दौरान परिवारवाद के मुद्दे को लेकर भी कांग्रेस को निशाने पर रखा. 

आप ने भी झोंक दी पूरी ताकत 

कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी भी हिमाचल में पूरी ताकत झोंक दी. आप ने जोर-शोर से बेरोजगारी का मुद्दा उठाया. पार्टी ने हिमाचल में अपने दिल्ली मॉडल का जमकर प्रचार किया. इस दौरान हिमाचल में पंजाब की आप (AAP) सरकार के मंत्रियों का भी जमावड़ा लगा रहा. 'एक मौका केजरीवाल को', वह टैगलाइन है जिसे आप ने अपने पंजाब चुनाव टैगलाइन 'इक मौका केजरीवाल नु' की तर्ज पर हिमाचल अभियान के लिए इस्तेमाल किया है. बहरहाल, इस बार सत्ता का सफर कौन तय करेगा और क्या हिमाचल में हर पांच साल पर परिवर्तन की परम्परा बदलेगी, ये तो 8 दिसंबर को ही पता चलेगा. 



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