आज हम भारत के काशी के दुर्गा मंदिर की बात करेंगे,जहां पर हिंदू धर्म की मान्यता वाले लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है। मंदिर की मान्यता है कि देवी दुर्गा ने दैत्य का संहार करने के बाद विश्राम किया था।
रीना परमार,टुडे न्यूज गुजराती, संवाददाता।Shardeey Navratri 2022 जिस शहर को मंदिरों के शहर से पहचाना जाता हे,वो काशी में शारदीय नवरात्र के मौके पर आस्था का मानो सागर सा उमड़ पड़ता है.इसिलिये यहां ट्रावेल्स व्यवसाय को गति मिली हे, पर्यटकों के लिहाज से काशी में साल भर में करोड़ों देसी विदेशी सैलानी प्रतिवर्ष काशी में आते हैं और धार्मिक स्थलों पर भी जाते हैं। कहीं भी काशी में आस्थावानों को कोई रोक टोक नहीं होता। लेकिन, दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में हिंदू धर्म से इतर मान्यता वालों को मंदिर से दूर रहने का निर्देश आज भी अंकित है।और यह आज भी सख्ती से लागू हे,
काशी शहर के मध्य में दुर्गाकुंड के दुर्गा मंदिर का चैत्र और शारदीय नवरात्र में काफी महत्व है। इस मंदिर के मुख्य द्वार पर शिलापट्ट पर एक सूचना अंकित है। इसके तहत हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। सूचना पट्ट पर संस्कृत, इंग्लिश और उर्दू में यह स्पस्ट लिखा है।
काशी दुर्गाकुंड देखने पुरे साल यांत्रिक आते हे, इस बारे में दुर्गाकुंड मंदिर प्रबंधन का भी मानना है कि मंदिर के द्वार पर यह बोर्ड लगा है। सामान्य तौर पर ईसाई धर्म मानने वाले अंग्रेज या मुस्लिम मंदिर में स्वत: नहीं आते हैं। केवल सनातन धर्म अनुयायी ही मंदिर में अंदर प्रवेश करते हैं और दर्शन-पूजन करते हैं। वर्ष 2019 में पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी इस मंदिर में दर्शन-पूजन किया तो मंदिर के बारे में लोगों के बीच चर्चा शुरू हुई थी।और यह मदिर सुर्खियों में आया था,
क्या हे मंदिर का इतिहास :
काशी के दुर्गा कुंड का दुर्गा मंदिर शहर के प्राचीनतम मंदिरों में शामिल है। काशी खंड में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है। लाल बलुआ पत्थरों से बने इस मंदिर के एक ओर दुर्गा कुंड है तो मंदिर में माँ दुर्गा यहां पर यंत्र के स्वरूप में विद्यमान मानी गई हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में बाबा भैरोनाथ, लक्ष्मी, सरस्वती और काली मां की मूर्ति स्थापित है।जहा यांत्रिक आस्था से सर जुकाते हे
इस पौराणिक मंदिर की महत्ता :
काशी के इस मंदिर में मांगलिक कार्य के अतिरिक्त नियमित हवन हवन किया जाता है। काशी में तंत्र पूजा की मान्यता वालों के आस्था का यह बड़ा केंद्र है। किंवदंतियों के अनुसार देवी दुर्गा ने दैत्य का संहार करने के बाद यहां पर कुछ समय विश्राम किया था। मदिर के पास आनंद पार्क में आर्य समाज का प्रथम सास्त्रार्थ काशी के विद्वानों संग हुआ था। मान्यता है कि इस मंदिर का पुन: निर्माण 18 वीं शताब्दी में रानी भवानी ने करवाया था। आज यह आस्था का वल्द फेमस मदिर बना हे..