आधार कार्ड से तो आप परिचित होंगे ही। इसके जरिए ढेर सारे काम आसान हो गए हैं। इससे लोगों की पहचान न सिर्फ आसान हो गई है बल्कि कई तरह के फर्जीवाड़े (Fraud) पर भी रोक लगी है। इसकी इसी सफलता से उत्साहित होकर सरकार जानवरों का भी आधार (Pashu Aadhaar) कार्ड बनवाएगी। इसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय डेयरी सम्मेलन (International Dairy Federation World Dairy Summit) में आज इस बात की चर्चा की। इस दौरान उन्होंने बताया कि भारत के डेयरी सेक्टर (Dairy) का जितना बड़ा स्केल है, उसे साइंस के साथ जोड़कर और विस्तार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत, डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है। डेयरी सेक्टर से जुड़े हर पशु की टैगिंग हो रही है।आपको पता ही होगा कि आधार कार्ड बनवाने में बायोमीट्रिक पहचान ली जाती है। मतलब कि अंगुलियों के निशान, आंखों की पुतलियां आदि को वैज्ञानिक तरीके से कैप्चर किया जाता है। पीएम मोदी ने बताया कि अब आधुनिक टेक्नोल़ॉजी की मदद से पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान की जा रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया जानवरों की जो बायोमीट्रिक पहचान की जा रही है, उसका नाम दिया गया है- पशु आधार। पशु आधार के जरिए पशुओं की digital identification की जा रही है। सरकार का कहना है कि इससे जानवरों की सेहत पर नजर रखने के साथ-साथ डेयरी प्रॉडक्ट्स (Dairy Products) से जुड़े मार्केट को विस्तार देने में मदद मिलेगी।इसी कार्यक्रम में पीएम मोदी ने गुजरात के कच्छ में रहने वाली बन्नी भैंस (Banni Bhains) का किस्सा सुनाया। यह भैंस वहां की रेगिस्तान की परिस्थितियों से ऐसी घुलमिल गई है कि देखकर कई बार हैरानी होती है। वहां दिन में भयंकर धूप होती है। इसलिए बन्नी भैंस रात के कम तापमान में घास चरने के लिए निकलती है। पीएम ने कहा कि विदेश से आए हमारे साथी ये जानकर चौंक जाएंगे कि उस समय समय बन्नी भैंस के साथ उसके किसान या पालक साथ नहीं होते हैं। बन्नी भैंस खुद चारागाह में जाती है। रेगिस्तान में पानी कम होता है। इसलिए बहुत कम पानी में भी बन्नी भैंस का काम चल जाता है।
रात में 15 किलोमीटर दूर जाकर चरती है घास
पीएम मोदी ने बताया कि बन्नी भैंस रात में 15-15 से लेकर 17-17 किलोमीटर तक दूर घास चरने जाती है। उन्होंने कहा कि इतनी दूर जाकर घास चरने के बाद भी बन्नी भैंस सुबह अपने आप खुद घर चाली आती है। पीएम ने कहा कि ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि किसी की बन्नी भैंस खो गई हो या गलत घर में चली गई हो।