कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। दिग्विजय सिंह के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इनकार के बाद अब मुकाबले में सिर्फ अशोक गहलोत और शशि थरूर रह गए हैं। यह साफ है कि अगर राहुल गांधी ने दावेदारी नहीं की तो अशोक गहलोत आसानी से अध्यक्ष पद जीत जाएंगे। ऐसे में इस बात को लेकर भी अटकलों का बाजार गरमा गया है कि राजस्थान में क्या होगा? क्या सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे या अशोक गहलोत अपने करीबी और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी को अध्यक्ष बनवाने में कामयाब होंगे।
दिग्विजय सिंह की सफाई के बाद अशोक गहलोत और शशि थरूर इस पद के तगड़े दावेदार बचे हैं। इस पद को लेकर पूरी पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने गुरुवार को कहा कि करोड़ों कार्यकर्ताओं की तरह मैं भी चाहता हूं कि राहुल गांधी कांग्रेस और देश का नेतृत्व करें। अगर राहुल गांधी तय करते हैं कि वे पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे और सामने आ रहे दो नामों में से एक का चुनाव करना पड़ा तो दोनों में कोई तुलना ही नहीं है।
एक तरफ अशोक गहलोत हैं जो केंद्रीय मंत्री, तीन बार मुख्यमंत्री, पांच बार सांसद, पांच बार विधायक रहे और उन्होंने सीधे मुकाबले में मोदी-शाह को हराया है। उनके पास 45 साल का बेदाग राजनीतिक जीवन है। दूसरी ओर शशि थरूर हैं। उनका पिछले आठ साल में पार्टी में महत्वपूर्ण योगदान सिर्फ इतना ही है कि अस्पताल में भर्ती सोनिया गांधी जी को पत्र लिखना। इसकी वजह से मेरे जैसे करोड़ों कार्यकर्ता दुखी हुए हैं। चुनाव आसान और सरल है।
अध्यक्ष बनते ही खेला कर सकते हैं गहलोत
अशोक गहलोत के मौजूदा रुख को देखते हुए कहा जा रहा है कि राजस्थान कैबिनेट में भी फेरबदल हो सकता है। गहलोत पार्टी अध्यक्ष बने तो उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ना होगा। राहुल गुरुवार को साफ कर चुके हैं कि एक व्यक्ति एक पद का नियम सख्ती से लागू किया जाएगा। ऐसे में चर्चाएं ऐसी हैं कि सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यानी अगला चुनाव पायलट के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। वहीं, गहलोत कोशिश में होंगे कि उनके विश्वस्त और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया जाए।
पायलट हुए राजस्थान में सक्रिय
गांधी परिवार का साथ मिलने से गहलोत का पार्टी अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय है। ऐसे में राजस्थान की सियासत में सचिन पायलट अपनी स्थिति मजबूत करने में जुट गए हैं। पिछले तीन दिन में उन्होंने केरल में भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया। दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। फिर जयपुर लौटे तो सीधे सीपी जोशी से मिलने गए। उनके समर्थक विधायकों ने भी चुप्पी साध रखी है। वे किसी तरह का कोई विवाद नहीं चाहते हैं, जिससे उनके नेता की संभावनाओं को झटका लगे। हाल ही में गुर्जर समाज के कार्यक्रम में नारेबाजी को लेकर गहलोत समर्थक मंत्री और पायलट समर्थक आमने-सामने आ चुके हैं।
शशि थरूर की स्थिति कमजोर
शशि थरूर समेत 23 नेताओं ने अगस्त 2020 में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को प्तर लिखा था, जब वह अस्पताल में भर्ती थी। जी-23 के नाम से पहचान रखने वाले इस पत्र में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी में सुधारों की मांग की थी। 19 सितंबर को शशि थरूर ने सोनिया गांधी से उनके निवास पर मुलाकात की थी। उनहोंने पार्टी के अंदरुनी लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। सोनिया ने उन्हें इसकी अनुमति दे दी है। तिरुअनंतपुरम के कांग्रेस सांसद ने पार्टी के मुख्य चुनाव प्राधिकारी मधुसूदन मिस्त्री से बुधवार को मुलाकात की थी।
गहलोत 28 को दाखिल करेंगे नामांकन
चुनाव प्रक्रिया 24 सितंबर को शुरू होगी और 30 सितंबर तक चलेगी। गहलोत 28 सितंबर को नामांकन दाखिल कर सकते हैं। चुनाव 17 अक्टूबर को होंगे और 19 नवंबर को मतगणना होगी।