रिलायंस कैपिटल, यूनिटेक, सुजलॉन, रिलायंस कम्यूनिकेशंस... फेहरिस्त लंबी है। इन कंपनियों के साथ एक चीज कॉमन रही है। कभी ये निफ्टी50 इंडेक्स (Nifty50) की शान हुआ करती थीं। इन शेयरों में निवेश करके लोग भूल जाया करते थे। लोगों को लगता था कि कयामत भी आ जाए तो इन शेयरों को कुछ नहीं होने वाला है। लेकिन, यही शेयर बाजार है। निफ्टी50 में शामिल तमाम ऐसी कंपनियां जिनकी कभी तूती बोलती थी, एक समय आया जब उनकी हैसियत ढेलेभर की नहीं बची। इनमें से कई में तो अब ट्रेडिंग तक नहीं होती है। इसका सबसे ताजा उदाहरण अनिल अंबानी ग्रुप की रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) है। हाल में इस कंपनी के शेयरों को एक्सचेंज से हटा दिया गया। इस तरह कह सकते हैं कि इसके शेयरों की वैल्यू जीरो हो गई। निफ्टी देश की 50 टॉप कंपनियों का सूचकांक है। इस इंडेक्स में वो कंपनियां होती हैं जिनके लिए माना जाता है कि इनके साथ किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आ सकती है। लेकिन, बीते एक से डेढ़ दशक में निवेशकों (Investors' Confidence) का यह भ्रम टूटा है।
निवेशकों के भरोसे को किया चकनाचूर
पिछले कुछ सालों में कई दिग्गज शेयरों ने निवेशकों को मायूस किया है। सिर्फ मायूस ही नहीं किया, भरोसा तक तोड़ दिया। ये अर्श से फर्श पर आ गई हैं। इनमें से कई तो दिवालिया तक हो गईं। कुछ में कारोबार रोक दिया गया क्योंकि उनके शेयरों का मूल्य बेमोल हो गया। इन कंपनियों में यूनिटेक, सुजलॉन, वोडाफोन आइडिया, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस कम्यूनिकेशंस, रिलायंस पावर, एमटीएनएल, जेपी एसोसिएट्स, यस बैंक शामिल हैं। ये वो शेयर हैं जो कभी निफ्टी50 इंडेक्स की शान होते थे। आज नौबत यह है कि कोई इनका भाव तक नहीं पूछने वाला है।
इन सभी के नीचे जाने की कहानी भी काफी मिलती-जुलती है। इनमें से ज्यादातर मामलों में कंपनियों पर कर्ज का बोझ इतना ज्यादा हो गया कि वो उबर नहीं पाईं। कर्ज को उतारने के लिए उन्होंने और कर्ज लिया और कर्ज का यह चक्र उन्हें फंसाता चला गया। एक दिन आया जब कंपनियों ने हाथ खड़े कर लिए। इसके चलते इनका या तो किसी दूसरी कंपनी ने अधिग्रहण कर लिया या फिर ये कारोबार समेटकर बैठ गईं। इस पूरी कवायद में अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ तो वे थे रिटेल निवेशक।
रिटेल निवेशकों को लगी सबसे ज्यादा चपत
अनिल अंबानी ग्रुप की रिलायंस कैपिटल का ही उदाहरण लेते हैं। इस कंपनी में पब्लिक शेयर होल्डिंग 94 फीसदी से ज्यादा थी। हाल में कंपनी के शेयरों की वैल्यू जीरो हो जाने के बाद निवेशक पूरी तरह सकते में आ गए। रिलांयस कैपिटल काफी समय से कर्ज में फंसी थी। कर्जदाताओं की एक समिति ने बुधवार को कंपनी के रेजॉल्यूशन प्रोसेस की समीक्षा की थी। कंपनी के लिए बोली प्रक्रिया 29 अगस्त को समाप्त हुई थी। रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए इंडसइंड बैंक, अमेरिका की संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल और टॉरेंट ग्रुप की छह कंपनियों ने बोली लगाई है। कंपनी के शेयरों में कारोबार रोक दिया गया है। डीमैट से सभी शेयर डेबिट कर दिए गए हैं।
यही कारण है कि एक्सपर्ट्स निवेशकों को किसी शेयर में निवेश करने से पहले उसकी बैलेंसशीट का अध्ययन करने की सलाह देते हैं। कंपनी कितनी भी बड़ी हो, उसका कर्ज एक दायरे में ही हो सकता है। अगर कर्ज कंपनी के एसेट्स से ज्यादा हो जाए तो उस पर खतरे की घंटी बजने लगती है। ऐसे और भी कई इंडिकेटर्स हैं जो कंपनी की माली हालत के बारे में बताते हैं।
दगाबाज रे....
कंपनी शेयर मूल्य (रुपये में)
यूनिटेक 2.40
जेट एयरवेज 100.95
सुजलॉन 9.65
वोडाफोन आइडिया 9.65
रिलायंस पावर 19.20
एमटीएनएल 24.65
जेपी एसोसिएट्स 9.10
रिलायंस कम्यूनिकेशंस ट्रेडिंग बंद
रिलायंस कैपिटल ट्रेडिंग बंद
यस बैंक 17.50