गुरमीत राम रहीम की परोल का हिमाचल से हरियाणा चुनाव तक है कनेक्शन! जानें- क्यों उठ रहे ये सवालRAM RAHIM

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गुरमीत राम रहीम की परोल का हिमाचल से हरियाणा चुनाव तक है कनेक्शन! जानें- क्यों उठ रहे ये सवालRAM RAHIM

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डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) का प्रमुख गुरमीत राम रहीम इन दिनों परोल पर जेल से बाहर है. साथ ही गुरमीत राम रहीम अपने कामों से लगातार चर्चा में बना हुआ है और इस पर विवाद भी शुरू हो गया है. हरियाणा (Haryana) की बीजेपी सरकार (BJP Government) पर विपक्षी दलों के नेता गुरमीत राम रहीम को परोल दिलवाने का आरोप लगा रहे हैं. यही नहीं बीजेपी के कई नेताओं के गुरमीत राम रहीम से मुलाकात की वजह से भी राजनीति हो रही है.

सवाल ये है कि क्या राम रहीम को परोल सियासी मेहरबानी है और ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि गुरमीत राम रहीम का सत्संग कहने के लिए तो ऑनलाइन चल रहा है, लेकिन उसका चुनावी कनेक्शन हरियाणा से लेकर हिमाचल तक फिट एंड फाइन नजर आ रहा है. दरअसल गुरमीत राम रहीम को बलात्कार और हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा मिली हुई है. साल 2017 से राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल का कैदी है. हालांकि, कानून कैदियों को भी कुछ अधिकार देता है, तो उसी अधिकार का फायदा उठाकर गुरमीत राम रहीम जब चाहे जेल से बाहर आ जाता है और वैसे ही अपना दरबार सजा लेता है, जैसे पहले किया करता था.

15 अक्टूबर को बागपत के आश्रम पहुंचा था राम रहीम

इस बार 14 अक्टूबर को राम रहीम को 40 दिन की परोल मिली. 15 अक्टूबर को राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत में डेरा सच्चा सौदा के आश्रम पहुंच गया. परोल मिलने के साथ ये शर्त लगाई गई थी कि इस दौरान राम रहीम डेरे से बाहर नहीं जा सकता. ऐसे में उसने पहले से ही ऑनलाइन दरबार सजाने का प्लान बना लिया था, बागपत पहुंचते ही उसने इसकी घोषणा भी कर दी. गुरमीत राम रहीम ने कहा, "हम फिर से आपके दर्शन के लिए यूपी के आश्रम पहुंच चुके हैं, आप लोगों को जैसा बताया जाए, वैसे ही मिलिएगा, दर्शन चलते रहेंगे और बातें होती रहेंगी, सारी बातें करेंगे बस अभी पहुंचे हैं."

म्यूजिक वीडियो किया लॉन्च

रेप का दोषी राम रहीम भले ही सिर्फ 40 दिनों के लिए जेल से बाहर आया हो, लेकिन उसके शाही अंदाज में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए डेरे को कायदे से सजा-संवार दिया गया. सिरसा से साज संगीत का सामान मंगा लिया गया. ऐसा लग रहा था, जैसे यहां कोई पार्टी शुरू होने वाली हो और हुआ भी वैसा ही है. दीपावाली के मौके पर राम रहीम ने अपना नया म्यूजिक वीडियो लॉन्च कर दिया. करीब साढ़े 3 मिनट के इस वीडियो में वो बिलकुल वैसे ही सजा-धजा था है, जैसे अपने पुराने वीडियोज में हुआ करता था. यानी ये परोल दरअसल राम रहीम के लिए जश्न का मौका बन गया है.

जानिए कब रद्द किया जा सकता है परोल?

वरिष्ठ वकील नवीन कुमार का कहना है कि परोल देने का कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाता है. यह जरूरी कारण के लिए ही मिलता है. अगर कोई उसके परे जाकर गतिविधि कर रहा हो, तो यह कानून के खिलाफ है. ऐसे में परोल को रद्द किया जा सकता है. वहीं पंजाब के पूर्व डीजीपी शशिकांत का कहना है कि परोल पर बाहर आया कैदी कानून के मुताबिक कुछ भी कर सकता है. बस उसे हर रोज पुलिस के पास हाजरी लगानी होती है. इसके अलावा उस पर कोई बंदिशें नहीं हैं.


'हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे'

यही वजह है कि 15 तारीख को जेल से बाहर आने के बाद गुरमीत राम रहीम ऐसे पेश आ रहा है, जैसे उसे बाइज्जत बरी कर दिया गया हो. उसके हाव-भाव से साफ दिखता है कि न उसे किसी बात की शर्म है न कोई अफसोस. वो अब भी खुद को भगवान समझ रहा है. इस बीच गुरमीत राम रहीम ने कहा, "हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे. हमने अपनी साध संगत को पछली बार यह कसम दिलाई थी कि गुरु के समतुल्य समझना अपनी आशिकी को बेइंतहा दाग लगवाना है. इन बच्चों ने हमें तोहफा दिया था कि अपने गुरु पर सौ परसेंट यकीन करेंगे और उसके बराबर किसी को नहीं मानेंगे. आज देख लो, आज सबके हाथ खड़े हैं. लाइव वालों के भी और यहां सेवादारों के भी. हाथ नीचे नहीं हो रहे ज्यो के त्यों खड़े हैं कि गुरुजी ये तोहफा हमने आपको दिया है. गुरु के समतुल्य किसी को नहीं मानना."


हनीप्रीत को दिया नाम

राम रहीम जेल में रहते हुए भी अपने साम्राज्य पर किसी तरह का खतरा नहीं आने देना चाहता, इसीलिए उसने ये एलान किया कि चाहे जो हो जाए डेरे की कमान उसके पास ही रहेगी. दरअसल उसे ये सफाई इसलिए देनी पड़ी, क्योंकि 26 अक्टूबर को अचानक उसने घोषणा कर दी कि डेरे में उसकी सबसे करीबी हनीप्रीत अब से रुहानी दीदी कहलाएगी. उसने कहा, "अपनी बिटिया को हमने एक नाम दे दिया, नाम तो वो ही है वैसे, बिटिया का नाम बताने की जरूरत नहीं है, सबको पता है साथ संगत भी जानती है. हमारी बिटिया का नाम हनीप्रीत है, धर्म की बेटी है और हमारा मुख्य शिष्या है. उनका हमने एक छोटा सा नाम दे दिया है सारे कहते हैं गुरुजी, सारे दीदी-दीदी कहते है, इसलिए पता नहीं चलता, तब हमने का नाम दे दिया है रुह दी यानी रूहानी दीदी."

इस सवाल पर भड़का राम रहीम

ऐसे में जो कभी प्रियंका तनेजा हुआ करती थी, वो पहले गुरमीत राम रहीम की हनीप्रीत हुई और अब डेरे की रुहानी दीदी. पर सवाल ये उठा रहा है कि क्या ये बदलाव आने वाले वक्त में डेरे की गद्दी में भी बदलाव का संकेत है. यही वो सवाल है जिस पर राम रहीम भड़क गया. उसने कहा, "कितनी चिट्ठियों में लिख दी एक बात, आपने सुनी है और पढ़ी है. गुरु हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे. सौ परसेंट, एक हजार परसेंट, लाख परसेंट. पता नहीं क्या खाज उठती है और कुछ दिन बाद फिर शुरू हो जाते हैं."


2021 और 22 में कुल 6 बार जेल से बाहर आ चुका है राम रहीम

इस बीच राम रहीम को इस बार मिली पैरोल की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि, ये पहली बार नहीं है जब गुरमीत राम रहीम को ठीक चुनाव के पहले परोल मिला हो. 20 साल की सजा काट रहा राम रहीम 2021 और 22 में कुल 6 बार जेल से बाहर आ चुका है. अब ये संयोग है या कोई सोचा समझा प्रयोग कि 2022 में हर बार जब भी कोई चुनाव आया तो राम रहीम जेल से बाहर आया.


इस साल 7 फरवरी में उसे 21 दिन की फरलो मिली थी, तब पंजाब के विधानसभा चुनाव होने थे.

इसके बाद 17 जून को उसे 30 दिन की परोल मिली तो हरियाणा के नगर पालिका के चुनाव होने वाले थे.

अब फिर उसे 40 दिन की परोल मिली है तो आदमपुर विधानसभा सीट में उपचुनाव है और हिमाचल में विधानसभा चुनाव.



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