केरल हाई कोर्ट: बीमार बुजुर्ग को आईवीएफ के माध्यम से इलाज कराने की इजाजत दी

Visit our New Website (અહીં નવી વેબસાઇટ જુઓ / नयी वेबसाइट यहाँ देखें)...



.... ... .. .
Visit our New Website (અહીં નવી વેબસાઇટ જુઓ / नयी वेबसाइट यहाँ देखें) CLICK HERE!

.... ... .. .

केरल हाई कोर्ट: बीमार बुजुर्ग को आईवीएफ के माध्यम से इलाज कराने की इजाजत दी

0


 केरल हाई कोर्ट ने नि:संतान दंपती की याचिका पर सुनवाई करते हुए आईवीएफ के माध्यम से इलाज कराने की इजाजत दी है। जिन दंपती की ओर से याचिका दायर की गई है उनमें पति की उम्र 61 साल जबकि पत्नी की उम्र 39 साल है। दरअसल कानूनन इस बात की इजाजत नहीं है कि 55 साल से ऊपर की उम्र वाले पुरुष का आईवीएफ के जरिए इलाज करवाया जा सके। इसलिए पत्नी ने कोर्ट का रुख अपनाया और अब जाकर उसे कामयाबी मिली है। केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि विषम परिस्थितियों में इस बात की इजाजत दी जाती है।हृदयरोग की बीमारी से पीड़ित है पति

पत्नी की ओर से याचिका में यह कहा गया है कि उसका पति हृदय रोग की गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इसके साथ ही उसका हृदय केवल 40% क्षमता पर काम कर रहा है। जिसके चलते उसका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। संतान की चाह रखने वाले दंपती की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आदेश देते हुए आईवीएफ पद्धति से पति के वीर्य को निकालने और प्रेजर्व करने की अनुमति दे दी है। जिसके बाद निःसंतान दंपति अब पति की उम्र 61 साल हो जाने के बाद भी आशा व्यक्त कर रहे हैं।इलाज की अनुमति के लिए आड़े आ रहा था कानून

साल 2021 में लागू किए गए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) अधिनियम के मुताबिक आईवीएफ पद्धति से इलाज के लिए नियम बनाए गए हैं। जिसके तहत अस्पतालों को इस बात की इजाजत नहीं है कि वे 50 से ऊपर की महिलाओं और 55 से ऊपर के उम्र के पुरुषों को आईवीएफ उपचार प्रदान कर सकें। न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने स्पष्ट किया कि आदेश विशेष परिस्थितियों में जारी किया गया। युगल को पति के वीर्य को सुरक्षित रखने की अनुमति देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अगर आगे इस मामले में किसी भी अप्रिय घटना या फिर याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य में और गिरावट पाई जाती है तो रिट याचिका में जो राहत मांगी गई है वह निष्फल हो जाएगी"।याचिका में दंपती की ओर से यह जानकारी दी गई है कि पहले तो पत्नी ने पहले बांझपन के इलाज का विकल्प चुना था। लेकिन आर्थिक तंगी और महामारी के कारण जारी नहीं रख सकी। इसके बाद जब दंपती ने एक अस्पताल में इलाज फिर से शुरू करने का फैसला किया, तो हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आई। जिसमें पता चला कि कि पति ही संतान प्राप्ति के लिए उपयुक्त पात्र नहीं था, लेकिन क्योंकि वह 55 वर्ष की कटऑफ आयु को पार कर चुका था जिसके चलते इलाज की इजाजत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।


Contact us for News and Advertisement at: 8154977476 / 6356624878

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)