रेलवे की इस कंपनी के निजीकरण का रास्ता हुआ साफ, मिल सकती है 1.2 लाख नौकरियां

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रेलवे की इस कंपनी के निजीकरण का रास्ता हुआ साफ, मिल सकती है 1.2 लाख नौकरियां

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे की जमीन की लाइसेंस फीस छह फीसदी से घटाकर 1.5 फीसदी करने का फैसला किया है। साथ ही लीज की अवधि  को भी पांच साल से बढ़ाकर 35 साल कर दिया गया है। इस फैसले से रेलवे की कंपनी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। इससे कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया में तेजी आएगी। नीति आयोग ने कंटेनर्स के लिए रेलवे की जमीन की लीजिंग फीस तीन फीसदी से कम रखने की सिफारिश की थी। निजी कंपनियों ने इसमें कमी की मांग की थी। कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी कॉनकॉर रेलवे की कंपनी है और कंटेनर्स के ट्रांसपोर्टेशन और हैंडलिंग का काम देखती है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम गति शक्ति योजना को लागू करने के लिए रेलवे की भूमि को दीर्घकालिक पट्टे पर देने के प्रस्ताव को अनुमति दे दी है। इसके तहत अगले पांच वर्ष में 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को अनुमति दी गई । इसके तहत माल संबंधी गतिविधियों, जन उपयोगिताओं और रेलवे के विशेष इस्तेमाल जैसे कार्यों में रेलवे की भूमि को दीर्घकालिक पट्टे पर देने की नीति को अनुमति दी गई है।

1.2 लाख नौकरियां मिलेंगी

उन्होंने कहा कि रेलवे को इससे ज्यादा राजस्व प्राप्त होगा और लगभग 1.2 लाख नौकरियों की सृजन क्षमता पैदा होगी। ठाकुर ने कहा कि इसके तहत 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल अगले पांच वर्ष में विकसित किए जाएंगे। एक सरकारी बयान के अनुसार, इससे बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति, दूरसंचार केबल, जलमल निपटान, नालियां, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), पाइपलाइन, सड़क, फ्लाईओवर, बस टर्मिनल, क्षेत्रीय रेल परिवहन, शहरी परिवहन जैसी जन उपयोगिताओं के एकीकृत तरीके से विकास में मदद मिलेगी।

बयान के अनुसार, इसका कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होगा। भूमि पट्टे पर देने की नीति को उदार बनाने से सभी हितधारकों/सेवा प्रदाताओं/ऑपरेटरों के लिए ज्यादा कार्गो संबंधी सुविधाएं स्थापित करने के रास्ते खुलेंगे । इससे रेलवे के लिए अतिरिक्त कार्गो यातायात एवं माल ढुलाई राजस्व पैदा करने में उनकी भागीदारी की राह भी बनेगी। इसमें कहा गया है कि ये नीति भूमि के प्रति वर्ष बाजार मूल्य के 1.5 प्रतिशत की दर से 35 वर्ष तक की अवधि के लिए, कार्गो से संबंधित गतिविधियों हेतु रेलवे की भूमि को लंबी अवधि के पट्टे पर प्रदान करने का प्रावधान करती है।

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